महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ट्रेन की चपेट में आकर 16 मजदूरों की मौत हो गई है. ट्रैक के रास्ते जा रहे मजदूर मालगाड़ी की चपेट में आ गए.
कोरोना वायरस देश ही नहीं दौड़ती दुनिया को थमा चुका है, लेकिन देश में लॉकडाउन की मार सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों पर पड़ ही है, जो दो वक्त की रोटी के लिए अपने वतन से हज़ारों किलोमीटर दूर गए, लेकिन अब इस मुश्किल वक्त में घरवापसी चाहते हैं तो उन्हें अपनी जान का नजराना पेश करना पड़ रहा है. कभी सफर में बीमार पड़ जा रहे हैं तो कभी दिल का दौरा पड़ जा रहा है. आज रेल की पटरियों पर ही मौत ने देस्तक दे दी. लॉकडाउन की वजह से खाने के लिए अनाज नहीं थे, जीने के लिए पैसे नहीं थे, जान मुश्किल में लग रही थी और उससे बचने के लिए एक ही आस थी और वो किसी भी तरह अपने मुल्क, अपने देस, अपने गांव में वापसी... कि अगर घर पहुंच गए तो जिंदगी सलामत रह जाएगी. इस उम्मीद और आसरे ने वो हौसला दिया कि महाराष्ट्र के जालान से मध्यप्रदेश के भुसावल के लिए पैदल ही निकल पड़े. रास्ते का पता नहीं, लेकिन इतना पता था कि ये पटरी हमारे गांव से गुजती है. शहर को जाती है. इसलिए ट्रेन की पटरी को पकड़े अपने घर के लिए निकल पड़े. अभी सफर की शुरुआत ही थी. महजह 40 किलोमीटर चले थे. पैदल चले थे, ऐसे में थकना लाजमी थी. सोचा जरा सुस्ता लें. आराम के लिए रुके तो नींद ने अपनी आगोश में ले लिया, लेकिन किसे मालूम कि सफर में रुकना हमेशा की नींद सुला देगा..